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सन नियो के कलाकार बृंदा दहल, सिद्धि शर्मा और स्तुति विंकले ने ‘चिल्ड्रन्स डे’ पर याद किए बचपन के खूबसूरत पल

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✒️अनिल बेदाग(विशेष प्रतिनिधी)

मुंबई(दि.13नवंबर ):- ‘चिल्ड्रन्स डे’ पर सन नियो के कलाकार बृंदा दहल, सिद्धि शर्मा और स्तुति विंकले ने अपने बचपन की प्यारी यादों को साझा किया। बृंदा ने स्कूल प्रतियोगिताओं में भाग लेने का उत्साह और एक यादगार मेडल जीतने का अनुभव साझा किया, जबकि सिद्धि ने अपने भाई-बहनों के साथ बिताए मस्ती भरे पलों को याद किया, वहीं स्तुति ने बचपन के बेफिक्री को याद किया।

सन नियो के शो ‘छठी मैया की बिटिया’ शो में वैष्णवी का किरदार निभाने वालीं बृंदा दहल कहती हैं, “स्कूल में चिल्ड्रन्स डे का सबसे प्यारा अनुभव विभिन्न प्रतियोगिताओं में भाग लेना था, हम खेल, कविता और डिबेट प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेते थे। मुझे एक बार पोयम प्रतियोगिता में तीसरा स्थान मिला और मैंने एक मेडल जीता, जिसने उस दिन को और भी खास बना दिया। अगर मैं अपने बचपन में लौट सकती, तो उन अनमोल पलों को फिर से जीना चाहूँगी, जैसे पहली बार अपनी माँ को देखना या स्कूल के पहले दिन का अनुभव करना। बचपन से ही मेरा सपना अभिनेत्री बनने का था। पहले मैं डांसर बनना चाहती थी, फिर वो सपना एक डांसर-अभिनेत्री बनने का हो गया। आज ‘छठी मैया की बिटिया’ में काम करके ऐसा लगता है, जैसे मैं अपने उसी बचपन के सपने को जी रही हूँ।”

सन नियो के शो ‘इश्क़ जबरिया’ में गुल्की का किरदार निभाने वालीं सिद्धि शर्मा कहती हैं, “चिल्ड्रन्स डे हमेशा बच्चों की मासूमियत और सच्ची खुशी की यादें ताजा कर देता है। अपने छोटे भाई-बहनों के साथ बड़े होते हुए, मुझे याद है हम बिना किसी चिंता के हंसी-खुशी खेला करते थे। बचपन में मैं बहुत उत्साही थी, हमेशा सवाल पूछती और बड़े सपने देखती थी। मैं अब भी उस जिज्ञासा और उत्साह को संजोकर रखना चाहती हूँ। बच्चों में यह अद्भुत ताकत होती है, जो हर चीज को सरल और खुशनुमा बना देती है। इस खास दिन पर, बच्चों की इस सुंदर भावना का जश्न मनाएं और अपने अंदर के बच्चे को जीवित रखें!”

सन नियो के शो ‘साझा सिंदूर’ में फूलि का किरदार निभाने वाली स्तुति विंकले कहती हैं, “मुझे याद है कि हमारे स्कूल में आधे दिन का जश्न होता था, जिसमें नाच-गाना और मिठाइयाँ होती थीं। मैं हमेशा डांस फ्लोर पर होती थी। मुझे बचपन से ही नाचने का शौक रहा है। जब पीछे मुड़कर देखती हूँ, तो उन बेफिक्र दिनों को फिर से जीने का मन करता है, जब जिंदगी बस खेल, दोस्त और थोड़ी-बहुत पढ़ाई तक सीमित थी। मैं पढ़ाई में ध्यान देने के साथ-साथ शरारती भी थी, स्कूल में हर गतिविधि में उत्साह से भाग लेती थी, जैसे खेल, नृत्य, नाटक और अन्य कार्यक्रम। वो बचपन के पल बहुत अनमोल हैं, वो समय जब हम बस उस पल में जीते थे।”

‘छठी मैया की बिटिया’ वैष्णवी (बृंदा दहल द्वारा अभिनीत किरदार) की कहानी है, जो एक अनाथ लड़की है और छठी मैया को अपनी माँ के रूप में देखती है। इश्क़ जबरिया’ गुल्की (सिद्धि शर्मा द्वारा अभिनीत किरदार) और उसके अपने सपनों को हासिल करने के संघर्ष की कहानी है। ‘साझा सिंदूर’ फूलि (स्तुति विंकले द्वारा अभिनीत किरदार) की कहानी है, जिसे उसके विवाह के दिन दूल्हे की मृत्यु के बाद ‘अविवाहित विधवा’ का दर्जा दिया जाता है।

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