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वो रिटेलर!और हम व्होलसेलर !……….पैसा दिया और लोग आये! हमारा विधायक औरतोको कपडे, बर्तन बांट रहे है…मर्दोको दारू और पैसा!

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सुनो, नरेंद्र भाई ! मै महाराष्ट्र में गया था. ये लोग छत्रपती शिवाजी महाराज को बहुत मानते है. मुझे डर था, शायद हमारे प्रति घृणा करते होंगे. मगर अनुभव इसके विपरीत आया. हम तो जलगाव में गये, इतनी भीड उमडी थी कि, ऐसा कभी ना गुजरात देखी, ना दिल्ली मे. कुछ तो जादु की होगी, वहांके बाशींदो ने.
मैने उनको पुछा, क्यो भाई इतनी भीड कैसे जमा कर ली? जबाब मिला, शाहबजी! ये सारा पैसोका खेल है. पैसा भेजा, गाडी भेजी. लोग कामधंदा छोडकर जलगाव दौडे आये. हालांकि ना मुझे उनसे कोई संवाद था, ना उनको मुझसे मतलब.बस्स !पैसा दिया और लोग आये.
कसम से कहता हूं, नरेंद्र भाई! आप एक बार जाके देखो. कुछ लोग अपने खिलाफ बोलते है, लिखते है. मगर ऐसे दिमागवाले लोगोकी संख्या कम है. कोई कदर नही करते उनकी. पैसा देखकर भागने वालोकी संख्या जादा है. वही तो प्रयोग शिंदेजी ने किया था.कमाल है!एक दो नही,पुरे पचास विधायक भगाकर आसाम लेकर आये थे.ये सब पैसोका कमाल है.आप जाओ और देखो कितनी भीड उमडती है.
तापी किनारे जलगांव शहर है.जहां कभी सोना और दाल का बडा बिझीनेस था. गाय गोरू का बडा बिझीनेस चलता था. अब वहां दारू और रेत का बिझीनेस चरम सीमा पर पहुंच चुका है. वही लोग अपनी पार्टी चलाते है.अपने पार्टी के नेतागण तो गाय गोरू जैसे मतदाताको खरीद लेते है.नतीजा सामने है. जलगांव जिले के दोनो पार्लीमेंटरी कन्टिट्युशन में अपने उम्मीदवार भारी वोट से जीते है. मुझे बडा अचरज हुआ.यहां हम जीते कैसे? ये तो कमालकी बात है.पुछा!पता चला,यहांके लोगोकी कमजोरी है, पैसा!
पहले कभी ये लोग तलवार चलाकर हिंदुस्थान पर राज करते थे.अब तलवार तो म्युझियम में पडी है.अब व्होट चलता है. उसके लिये बुद्धी ज्ञान निती स्वाभिमान चाहिए. वही कम है. इसलिये हम पैसा चलाते है. हमारा विधायक भले शराब बेचता हो मगर औरतोको कपडे,बर्तन बांट रहे है.मर्दोको दारू और पैसा.समझो अभीसे प्रचार चालू हो गया.
सुनो!जो नेता अपने खिलाफ अनपसनप बोलते है, उनकी इमेज कुछ अच्छी नही है. वो भी भ्रष्टाचार के चक्कर मे फसे है.वो भी पैसो के लालची है.उम्मीदवार से पैसा लेकर टिकट देते है. जैसा सिनेमा थिएटर या सर्कस में होता है. वो लोक राजनिती को दुकानदारी समझते है. इसका फायदा हमारे बाशींदे उठाते है.उस देश मे विकास करनेकी कोई जरूरत नही.वही पैसा चुनाव में बांट दो.सो टक्का जीत जायेंगे.
नरेंद्र भाई! राजनिती की दुकानदारी तो सबकी है. वो रिटेलर है. और हम व्होलसेलर!

शिवराम पाटील
महाराष्ट्र जागृत जनमंच
९२७०९६३१२२

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