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कार्यक्रम की महानता उसकी भव्यता से नही गुणवत्ता से होती है- मुरलीमनोहर व्यास का मंतव्य

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चंद्रपूर – श्री राधेश्याम सेवा कुंज संस्था द्वारा आयोजित ” अपनों से अपनों की बात” कार्यक्रम अत्यंत भावभरा आयोजन है। कार्यक्रम की महानता उसके भव्य स्वरुप से नही अपितु उस कार्य की गुणवत्ता से होती है। इस आयोजन का स्वरुप भले ही छोटा हो लेकिन इसकी गुणवत्ता , भावना बहुत विशाल है। स्वाधिनता दिवस 15 अगस्त की संध्या बेला में जीवन संघर्ष जीत कर अपनी पहचान बनानेवाले महानुभावों और शिक्षा क्षेत्र में उल्लेखनीय अंक प्राप्त करनेवाले छात्र – छात्राओं को गौरवान्वित कर आनंदानुभूती प्राप्त होती है। इस के संयोजक श्री निहार हालदार पूर्व सैनिक होने से समारोह में राष्ट्रीयता का दर्शन और सौ सपना हालदार पूर्व शिक्षिका होने से शैक्षणिक संस्कारों की झलक दृष्टी गोचर होती है, ऐसे विचार चंद्रपुर के आध्यात्मिक चिंतक तथा साहित्यकार एवं पत्रकार मुरलीमनोहर व्यास ने प्रतिपादित किये।
चंद्रपुर शहर के बंगाली कैम्प परिसर में स्थित श्री राधेश्याम सेवा कुंज संस्था द्वारा विगत 11 वर्षों से स्वाधिनता दिवस 15 अगस्त की संध्या बेला में ” अपनों से अपनों की बात ” कार्यक्रम आयोजित किया जाता है। इस समारोह की अध्यक्षता मुरलीमनोहर व्यासजी ने की, प्रमुख अतिथी कृष्णकांत पोद्दार, विशेष अतिथी मनोहरलाल टहलियिणी उपस्थित थे।
इस वर्ष आयोजित समारोह में भारतीय नौदल सेना के निवृत्त अधिकारी प्रसाद कुमार मंडल, समाज सेवी श्री सुकांत शील, आदिवासी समाज के उत्थान के लिए कार्यरत श्रीमती पारोमिता गोस्वामी, श्री उमाजी सातपुते,बाल श्रमिक के रुप में संघर्ष कर बी टेक अर्थात इंजिनियरिंग पढ़नेवाली कु सुमन बाबरीया, बाल मजदुरी कर पढाई करते हुये नर्सिंग सेवा करनेवाली कु भाग्यश्री कोठारी को सम्मानित किया गया। उसी प्रकार एस एस सी बोर्ड परीक्षा तथा निट परुक्षा में उल्लेखनीय अंक प्राप्त करनेवाले छात्र – छात्राओं को पुरस्कृत किया गया। जिन में कु संचिता दास,कु देवस्मिता हालदार, श्रृष्टी ठाकरे , रोहित बोबडे,राजा नांदी को गौरवान्वित किया गया।
श्री राधेश्याम सेवा कुंज संस्था की स्थापना स्व नारायणचंद्र हालदार ने की। कार्यक्रम का संयोजन तथा आभार प्रदर्शन श्री निहार हालदार ने तथा प्रास्ताविक तथा कार्यक्रम संचालन सौ सपना हालदार तथा नितीश हालदार ने किया।
*सेवाभावीयों का सत्कार होना ही चाहिए*
प्रमुख अतिथी कृष्णकांत पोद्दार ने कहा समाज के सेवा भावी लोगों का सत्कार करना ही चाहिए। निहार हालदार का पुरा परिवार सामाजिक दायित्वों के कार्यों में आगे रहता है। इस कार्य में मै भी थोडा सहयोग देना चाहता हूँ । जरुरत मंद सत्कार मुर्ति के सहयोग के लिए पांच हज़ार रुपये हर साल देते रहूंगा।
*अग्निपथ योजना बहुत अच्छी है*
सत्कार मुर्ति नौदल सेना के निवृत्त अधिकारी प्रसाद कुमार मंडल ने युवकों को संबोधित करते हूये कहा, भारत सरकार की अग्निपथ योजना बहुत अच्छी है। किसी के भी बहकावे में न आकर युवावर्ग अग्निवीर बने। इस का कोई भी व्यक्ति बेरोजगार नही रहेंगा। विविध सरकारी विभागों में, उद्योगों में रोजगार मिलेंगा, खुदका व्यापार – व्यवसाय कर सकोंगे। मैने सेना में 15 वर्ष और भारतीय स्टेट बैंक में सेवा की है।मै आपको विश्वास दिलाता हूं की यह बहुत अच्छी योजना है। उन्होंने कहा, आपने एक सैनिक का सत्कार कर राष्ट्र भावना का संदेश समाज को दिया है।
*माता-पिता की सेवा ही सर्वोपरी*
सत्कार मुर्ति सुकांत शिल ने छात्रों को जीवन का मंत्र दिया की माता-पिता की सेवा ही सर्वोपरी है। जीवन में कितने भी बड़े बन जाना लेकिन माता-पिता को भुलना नही। माता-पिता की तपस्या से ही हमें यह जीवन प्राप्त हुआ है। मुझे मेरे माता-पिता से ही शिक्षा मिली कि हम पर माता-पिता, गुरु, भगवान, समाज और राष्ट्र का ऋण है। राष्ट्र से प्रेम करो।
*ग्रामिणों की बिकट स्थिती ने बेचैन कर दिया*
सत्कार मुर्ति समाज सेवी श्रीमती पारोमिता गोस्वामी ने कहा चंद्रपुर में मै जिलाधिकारी कार्यालय में नौकरी करने आई। वहां काम करते हूये मैने ग्रामिणों, आदिवासीयों, महिलाओं की समस्याओं को बहूत नजदीक से देखा। मै बेचैन हो गयी ।उन्हें न्याय दिलाने के लिए वकालत की पढाई की। और अपना कार्यक्षेत्र चंद्रपुर गडचिरोली के ग्रामिण क्षेत्र को बनाया।
*भाग्यश्री संघर्ष की कहानी*
कु भाग्यश्री कोठारी जब केवल पांच वर्ष की थी तभी पिताजी का देहांत हो गया। मां और नानी ने मजदूरी करके उसे पाला। उसने भी बाल मजदुरी की । परिचारिका का प्रशिक्षण लेकर आज एक निजी चिकित्सालय में नौकरी कर रही है।
*सुमन ने मजदूरी करके बी टेक किया*
कु सुमन बाबरीया ग्यारह वर्ष की थी तभी पिताजी का देहांत हो गया। मां ने मजदूरी करके उसे पाला। सुमन ने भी बाल श्रमिक के रुप में संघर्ष किया। दसवी पास करने के बाद पार्ट टाईम कार्य करते हूये पाली टेक्निक किया अब बी टेक कर रही है।
*दोनों को 5-5 हजार के पुरस्कार*
कु भाग्यश्री कोठारी और कु सुमन बाबरीया की कहानी सुनकर प्रमुख अतिथी कृष्णकांत पोद्दार और सत्कार मुर्ति पारोमिता गोस्वामी ने पांच – पांच हज़ार रुपयों के नगद पुरस्कार प्रदान किये।
कार्यक्रम की सफलता के लिए सौ तनया हालदार, संतोष सरकार और सौ निशा हावलादार ने विशेष परिश्रम किये।

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