मुम्बई (अनिल बेदाग) : सेंस इंडिया एक ऐसा राष्ट्रीय व्यापी संगठन है जो बधिरांधता और अन्य तरह की विकलांगता से जूझ रहे बच्चों व वयस्कों को सशक्त व आत्मनिर्भर बनाने के लिए उम्दा प्रकार की सेवाएं मुहैया कराता आ रहा है। सेंस इंडिया का प्राथमिक कार्य बधिरांधता से संबंधित ज़रूरी जानकारियां लोगों को मुहैया कराना, ज़रूरी मार्गदर्शन व प्रशिक्षण देना और इस तरह की परेशानियों से जूझ रहे लोगों व उनके परिजनों को निजी तौर पर सहायता करना है। संगठन द्वारा दिखाई गई प्रतिबद्धता के तहत देशव्यापी स्तर पर लोगों को जागरूक बनाना, उनके अधिकारों व अवसरों को सुरक्षित करना और उन्हें तमाम तरह की सेवाएं प्रदान संगठन के विशेष कार्यों में शामिल है।
मुम्बई में सेंस इंडिया द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम के ज़रिए लोगों को बधिरांधता के प्रति विस्तार से जानकारी प्रदान करने पर ज़ोर दिया जाएगा और देश भर में अपने कार्यों को विस्तार देने के लिए संसाधनों को जुटाने की कोशिश की जाएगी। सेंस इंडिया की ओर से इस साल बधिरांधता व अन्य तरह की विकलांगता से जूझती लड़कियों व महिलाओं पर फ़ोकस किया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि विकलांग लड़कियों व औरतों के साथ हर स्तर पर भेदभाव किया जाता है और ऐसे में उनकी गिनती सबसे ज़्यादा वंचित समुदाय में की जाती है और उन्हें भेदभाव की दोहरी मार झेलनी पड़ती है। सेंस इंडिया बधिरांध व्यक्तियों के यौन व प्रजनन से जुड़े स्वास्थ्य के साथ साथ मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय काम कर रहा है।
सेंस इंडिया के कार्यकारी निदेशक अखिल पॉल ने कहा, ‘लड़कियां व औरतें विकलांगता के कारण दोहरे रूप से भेदभाव का शिकार होती हैं. ऐसे में उनकी गिनती सर्वाधिक वंचित लोगों में होती है। सेंस इंडिया यौन व प्रजनन संबंधित स्वास्थ्य के साथ मानसिक स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में भी अपना विशेष दखल रखती है। सेंस इंडिया के इस आयोजन के प्राथमिक लक्ष्यों में सेंस इंडिया बधिरांधता के प्रति लोगों को जागरूक बनाना और देश भर में अपने कार्यों को विस्तार देने के लिए आर्थिक संसाधनों को इकट्ठा करना है।”
सेंस इंडिया एक ऐसा संगठन है जिसे बधिरांधता के मामलों में संवाद स्थापित करने, मोबिलिटी, अचूक जानकारी, सहायक उपकरणों के इस्तेमाल और पीड़ित लोगों के पुनर्वास में विशेषज्ञता हासिल है। बधिरांधता के अलावा अन्य प्रकार की विकलांगता के क्षेत्र में भी सेंस इंडिया की तकनीकी जानकारी उत्कृष्ट है जिसका इस्तेमाल वो साल 1997 से उम्दा तरीके से करता आ रहा है। इसके अंतर्गत संगठन बधिरांध बच्चों व वयस्कों के लिए कार्यरत अपने साझेदार संगठनों की सहायता करने व उनके कर्मचारियों को सीधे तौर पर प्रशिक्षण देने का कार्य भी करता आ रहा है।