मुंबई (अनिल बेदाग ) : प्रसिद्ध रेडियो उद्घोषक अमीन सयानी ने इस नश्वर क्षेत्र को अलविदा कह दिया। सात दशकों से अधिक के करियर में सयानी की आवाज़ आकाशवाणी में गूंजती रही, जिसने दुनिया भर के श्रोताओं के दिल और दिमाग पर एक अमिट छाप छोड़ी। जैसा कि हम उनकी अद्वितीय विरासत पर विचार करते हैं। हम उस व्यक्ति को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं जिनकी आवाज़ वास्तव में पीढ़ियों को जोड़ने वाला एक पुल थी।
लेखक और साक्षात्कारकर्ता रिदम वाघोलिकर, जिन्हें अपनी पुस्तकों के लिए सयानी के साथ बातचीत करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था, अस्सी के दशक के अंत में भी सयानी के पास मौजूद ज्ञान और अंतर्दृष्टि को दर्शाते हैं। वाघोलिकर जोर देकर कहते हैं, “प्रसारण की दुनिया में अमीन सयानी का योगदान अतुलनीय है। उनके साथ मेरी बातचीत में, मैं उनकी विनम्रता और उनकी कला के प्रति जुनून से प्रभावित हुआ। उनकी आवाज़ महज़ एक आवाज़ नहीं थी; यह एक ऐसी शक्ति थी जो समय और स्थान से परे थी और श्रोताओं को सादगी और आकर्षण के बीते युग में ले गई।”
दरअसल, सयानी की समृद्ध मध्यम आवाज़ और विशिष्ट शैली ने उन्हें एक घरेलू नाम बना दिया, जिससे उन्हें दशकों तक समर्पित अनुयायी अर्जित हुए। उनके प्रतिष्ठित शो “बिनाका गीतमाला” से लेकर उनके यादगार फिल्मी कथनों तक, सयानी की आवाज़ भारतीय लोकप्रिय संस्कृति के पूरे युग का पर्याय बन गई।
सयानी का प्रभाव प्रसारण के दायरे से बाहर तक फैला; वह एक सांस्कृतिक राजदूत थे जिनका प्रभाव सीमाओं से परे था। संगीत और कहानी कहने की सार्वभौमिक भाषा के माध्यम से श्रोताओं को एकजुट करते हुए, उनकी आवाज़ दक्षिण एशिया और उसके बाहर के घरों में एक परिचित उपस्थिति बन गई।
वाघोलिकर कहते हैं, ”जैसा कि हम अमीन सयानी को विदाई दे रहे हैं, हमें उस विरासत का भी जश्न मनाना चाहिए जो वह अपने पीछे छोड़ गए हैं। उनकी आवाज़ अब प्रसारित नहीं हो सकती है, लेकिन इसकी गूँज आने वाली पीढ़ियों तक गूंजती रहेगी, जो हमें कहानी कहने की शक्ति और एक आवाज़ के स्थायी प्रभाव की याद दिलाती रहेगी।”
वास्तव में, अमीन सयानी की आवाज़ बहुत याद की जाएगी, लेकिन इसकी गूंज आने वाले वर्षों में अनगिनत आत्माओं को प्रेरित और उत्थान करती रहेगी। जैसा कि हम उनकी स्मृति का सम्मान करते हैं, हमें यह जानकर सांत्वना मिलती है कि उनकी विरासत उन लोगों के दिलों में जीवित रहेगी जो उनकी अद्वितीय प्रतिभा और कालातीत ज्ञान से प्रभावित थे।