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वामपंथी पार्टियों ने कोरबा और कटघोरा में संयुक्त रूप से चुनाव लड़ने की घोषणा की, भाकपा ने कोरबा से सुनील सिंह को और माकपा ने कटघोरा से जवाहर सिंह कंवर को बनाया प्रत्याशी Left parties announced to jointly contest elections in Korba and Katghora, CPI nominated Sunil Singh from Korba and CPI(M) nominated Jawahar Singh Kanwar from Katghora

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कोरबा। वामपंथी पार्टियों – मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी – ने कोरबा जिले के कोरबा और कटघोरा विधानसभा क्षेत्र में मिल-जुलकर प्रचार करने की घोषणा की है। कोरबा से भाकपा ने सुनील सिंह और कटघोरा से माकपा ने जवाहर सिंह कंवर को अपना प्रत्याशी बनाया है।

आज यहां जारी एक संयुक्त बयान में माकपा जिला सचिव प्रशांत झा और भाकपा जिला सचिव पवन वर्मा ने उक्त बातें कही। संयुक्त बयान जारी करते हुए उन्होंने कहा है कि दोनों प्रत्याशी माकपा और भाकपा के संयुक्त प्रत्याशी हैं और वामपंथी पार्टियों के कार्यकर्ता उनकी जीत को सुनिश्चित करने के लिए कार्य करेंगे।

उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ निर्माण के बाद प्रदेश में कांग्रेस और भाजपा दोनों ही पार्टियों की सरकारें रही हैं, लेकिन उनकी कॉर्पोरेटपरस्त नीतियों के कारण विनिवेशीकरण और निजीकरण की नीतियों को ही आगे बढ़ाया गया है, जिसके कारण आम जनता विशेषकर असंगठित मजदूरों की बदहाली बढ़ी है। यही कारण है कि आज प्रदेश में नियमित मजदूरों से ज्यादा संख्या ठेका मजदूरों, संविदा कर्मचारियों, दैनिक वेतनभोगियों जैसे अनियमित कर्मचारियों की है, जिनके पास रोजगार की कोई सुरक्षा नहीं है। बालको जैसे प्रसिद्ध सार्वजनिक उद्योग का निजीकरण करने में तत्कालीन कांग्रेस-भाजपा की सरकारों का ही हाथ रहा है।

दोनों वामपंथी नेताओं ने कहा है कि जिले में अंधाधुंध औद्योगीकरण के कारण बड़े पैमाने पर गरीबों को विस्थापन की मार झेलनी पड़ रही है, लेकिन उनके पुनर्वास की चिंता से दोनों पार्टियों का कोई सरोकार नहीं रहा है। इसके कारण एसईसीएल जैसे सार्वजनिक क्षेत्र भी अपने सामाजिक दायित्वों को पूरा करने से इंकार कर रहे हैं और भूविस्थापितों को उनकी जमीन लौटाने और पुनर्वास भूमि का पट्टा देने से इंकार कर रहे हैं। आदिवासी वनाधिकार कानून और पेसा कानून को लागू ही नहीं किया गया है।

उन्होंने कहा कि कोरबा और कटघोरा विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस-भाजपा का राजनैतिक और नीतिगत विकल्प मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ही है, जिसने किसान सभा, सीटू और एटक के साथ मिलकर आम जनता की समस्याओं को हल करने के लिए ईमानदारी से संघर्ष किया है। इन संघर्षों के कारण आज आम जनता बदलाव के मूड में है। माकपा और भाकपा का संयुक्त प्रचार अभियान वामपंथ को न केवल एक राजनैतिक शक्ति के रूप में उभरेगा, बल्कि विधानसभा में वामपंथ के प्रदेश के लिए दरवाजे भी खोलेगा।

 

*Left parties announced to jointly contest elections in Korba and Katghora, CPI nominated Sunil Singh from Korba and CPI(M) nominated Jawahar Singh Kanwar from Katghora*

Korba. Left parties – Communist Party of India (Marxist) and Communist Party of India – have announced to jointly campaign in Korba and Katghora assembly constituencies of Korba district. CPI has declared Sunil Singh its candidate from Korba and CPI(M) has declared Jawahar Singh Kanwar its candidate from Katghora.

CPI(M) District Secretary Prashant Jha and CPI District Secretary Pawan Verma said this in a joint statement issued here today. Issuing a joint statement, they said that both the candidates are joint candidates of CPI(M) and CPI and workers of left parties will work to ensure their victory.

He said that after the formation of Chhattisgarh, there have been governments of both the Congress and BJP parties in the state, but due to their pro-corporate policies, the policies of disinvestment and privatization have been carried forward, due to which the plight of the general public, especially the unorganized labourers, has increased. This is the reason that today the number of irregular workers like contract labourers, contract workers, daily wage earners etc. is more than the regular employees in the state, who do not have any security of employment. The then Congress-BJP governments were responsible in privatizing a famous public industry like Balco.

Both the Left leaders have said that due to indiscriminate industrialization in the district, the poor are facing displacement on a large scale, but both the parties are not concerned with their rehabilitation. Due to this, public sectors like SECL are also refusing to fulfill their social responsibilities and refusing to return their land to the displaced people and give lease of rehabilitation land. Tribal Forest Rights Act and PESA Act have not been implemented.

They said that the political and policy alternative to Congress-BJP in Korba and Katghora assembly constituencies is only CPI(M) and CPI, which along with Kisan Sabha, CITU and AITUC fought honestly to solve the problems of the common people. Due to these struggles, today the general public is in a mood for change. The joint campaign of CPI(M) and CPI will not only help the Left emerge as a political force but will also open doors for the Left to enter the state in the Assembly.

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